नई दिल्ली: देश की प्रशासनिक राजधानी दिल्ली से एक बड़ी और महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के परिसर को अब आधिकारिक तौर पर ‘सेवा तीर्थ’ (Seva Teerth) नाम दिया गया है। यह नामकरण न सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव है, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है’ के मूल सिद्धांत को भी रेखांकित करता है।
नामकरण का महत्व: ‘सेवा तीर्थ’ क्यों?
‘सेवा तीर्थ’ नाम अपने आप में बहुत गहरा अर्थ समेटे हुए है। ‘सेवा’ का अर्थ है निःस्वार्थ भाव से देश की जनता की सेवा करना और ‘तीर्थ’ का अर्थ है एक पवित्र स्थान, जहाँ लोग किसी विशेष उद्देश्य या प्रेरणा के लिए आते हैं। इस प्रकार, ‘सेवा तीर्थ’ का अर्थ हुआ ‘सेवा का पवित्र केंद्र’या ‘सेवा की तीर्थयात्रा’।
इस नाम के पीछे सरकार का स्पष्ट संदेश है कि प्रधानमंत्री कार्यालय महज एक प्रशासनिक इमारत नहीं, बल्कि वह स्थान है जहाँ से राष्ट्र निर्माण और जनता के कल्याण की ‘तीर्थयात्रा’ संचालित होती है। यह उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी एक प्रेरक संदेश है, जो देश के शीर्ष प्रशासनिक केंद्र में काम करते हैं।
नया नाम, नया संकल्प
यह बदलाव देश की बदलती प्रशासनिक संस्कृति को भी दर्शाता है, जहाँ शासन (Governance) से ज्यादा सेवा (Service) को महत्व दिया जा रहा है।





