
Chhattisgarh Liquor Scam ED Complaint : छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की दो साल की लंबी जांच के बाद ईडी ने बुधवार को कोर्ट में फाइनल कंप्लेंट पेश की। ईडी के मुताबिक, यह कोई साधारण भ्रष्टाचार नहीं बल्कि सत्ता और व्यापार के गठजोड़ से बना एक संगठित सिंडिकेट था, जिसने सरकारी खजाने को भारी चपत लगाई।
कैसे काम करता था सिंडिकेट?
ईडी के अनुसार, इस घोटाले की पटकथा अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया ने मिलकर लिखी थी।
- प्लानिंग: सिंडिकेट ने राज्य के 15 जिलों को चिन्हित किया और वहां अपने वफादार अधिकारियों की पोस्टिंग कराई।
- नीति में बदलाव: सबसे पहले आबकारी नीति में बदलाव किया गया ताकि भ्रष्टाचार के रास्ते सुगम हो सकें।
- पैसे का बंटवारा: अनवर ढेबर, लक्ष्मीनारायण बंसल और केके श्रीवास्तव जैसे लोगों पर वसूली और पैसों के बंटवारे की जिम्मेदारी थी।
प्रमुख आरोपी और गिरफ्तारियां
इस मामले में ईडी ने कुल 22 लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि 59 अन्य को बिना गिरफ्तारी के आरोपी बनाया गया है।
मुख्य आरोपी:
- चैतन्य बघेल उर्फ बिट्टू: पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र।
- यश टुटेजा: रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा के पुत्र।
- सौम्या चौरसिया: पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव।
- कवासी लखमा: पूर्व आबकारी मंत्री।
कॉर्पोरेट आरोपी: छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, भाटिया वाइन मर्चेंट, और वेलकम डिस्टलरी जैसी 15 कंपनियों को भी घोटाले में संलिप्तता के लिए आरोपी बनाया गया है।
घोटाले के तीन प्रमुख हिस्से (Modus Operandi)
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है:
- पार्ट-A (319 करोड़): डिस्टिलरी मालिकों से प्रति पेटी कमीशन की वसूली।
- पार्ट-B (2174 करोड़): सरकारी दुकानों के जरिए ‘कच्ची’ या अवैध शराब की सीधी बिक्री।
- पार्ट-C (52 करोड़): सप्लाई और मार्केट शेयर देने के बदले सालाना कमीशन।
- FL 10A (248 करोड़): विदेशी शराब के लाइसेंस और वितरण में अनियमितता।
एजेंसियों का अनुमान
जहां ईडी इस घोटाले को 2800 करोड़ का बता रही है, वहीं राज्य की एजेंसी ईओडब्ल्यू (EOW) इसे 3000 करोड़ का मान रही है। अधिकारियों का मानना है कि पूरी जांच खत्म होने तक यह आंकड़ा 3500 करोड़ रुपये को पार कर सकता है।





