
पटना: बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार को सर्वसम्मति से 18वीं बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया। प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव ने सदन को यह सूचित किया कि अध्यक्ष पद के लिए केवल डॉ. प्रेम कुमार का ही नामांकन प्राप्त हुआ था, जिसके बाद ध्वनि मत से उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया।
लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर
डॉ. प्रेम कुमार के निर्वाचन के बाद सदन में लोकतंत्र की एक अत्यंत खूबसूरत तस्वीर देखने को मिली। परंपरा का पालन करते हुए, सत्ता पक्ष के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव स्वयं डॉ. प्रेम कुमार को उनके आसन (अध्यक्ष की कुर्सी) तक लेकर गए। यह दृश्य पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक सौहार्द और मर्यादा का प्रतीक बना।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मौके पर डॉ. प्रेम कुमार को बधाई दी और उनके लंबे संसदीय अनुभव की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनका निर्विरोध चुनाव बिहार के लिए एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है।
कौन हैं डॉ. प्रेम कुमार?
70 वर्षीय डॉ. प्रेम कुमार का राजनीतिक करियर अत्यंत शानदार रहा है। वह गया टाउन विधानसभा सीट से लगातार नौवीं बार विधायक चुने गए हैं।
- शिक्षा: उन्होंने इतिहास में पीएचडी (Ph.D.) की डिग्री हासिल की है।
- अनुभव: वह 1990 से लगातार विधायक हैं।
- विभिन्न भूमिका: विधायक होने के अलावा वह बिहार सरकार में कृषि, पथ निर्माण, नगर विकास और सहकारिता जैसे दस से अधिक विभागों के मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा, वह 2015 से 2017 के बीच नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं।
- पहचान: वह अत्यंत पिछड़े वर्ग (EBC) के एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं, जिससे उनके निर्वाचन को सामाजिक संतुलन साधने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
निष्पक्षता और मर्यादा का वादा
अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपने पहले संबोधन में, डॉ. प्रेम कुमार ने सदन को निष्पक्ष रूप से चलाने का वादा किया। उन्होंने सभी सदस्यों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि विधानसभा को पूरी मर्यादा, अनुशासन और संवैधानिक परंपराओं के तहत संचालित करना उनकी प्राथमिकता होगी। उनका सर्वसम्मति से चुना जाना, उनकी व्यापक स्वीकार्यता और संसदीय अनुभव को दर्शाता है।





